रविवार, 8 जनवरी 2017

बेटियां

नव वर्ष की नूतन रचना ।।

सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां
सुत जगरनाथ तो हैं पुरी बेटियां ।।

पौधशाला जगत के जनन की यही
पाठशाला है चिंतन  मनन की यही
नाद ॐकार की  ,वेद के गान की
बाइबल की दुआ ,सीख कुरआन की ।।

स्वर्ग की अप्सरा सी परी बेटियां
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।

बेटियां साधना तो पिता संत है
ये पुरुष के अहंकार का अंत है
हर पुरुष वृक्ष तो बेटियां छाँव हैं
है पुरुष शीश तो बेटियां पाँव हैं

लोक संस्कार की अंजुरी बेटियां
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।

राम है कर्म तो , है वचन जानकी
राधिका शक्ति है कृष्ण के नाम की
शिव शिवा के बिना मृत कैलाश है
बेटियों के बिना सृष्टि बनवास है ।।

हर पुरुष चाह की पाँखुरी बेटियां
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।

बेटियाँ गीत हैं , रीत हैं ,  प्रीत हैं
बेटियां माँ बहन और मनमीत है
प्रेम की पूर्णता का हवन बेटियां
धर्म के दान की आचमन बेटियां

बार त्यौहार की शुभ घड़ी बेटियां
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।

पाणिग्रह दो घरों का मिलन बेटियां
सात फेरों के सातों वचन बेटियां
बेटियां लाडली मायके की दुल्हन
और ससुराल की बेटियाँ है शगुन  ।।

सात स्वर से सजी बांसुरी बेटियाँ
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।

मनोज नौटियाल
Date - 06-01- 2017