बुधवार, 1 मई 2013

हमारे चाँद ने फिर आज घूंघट को गिराया है






हमारे चाँद ने फिर आज घूंघट को गिराया है 
अमावास रात में भी हर तरफ फैला उजाला है ||

...घटाएं छा रही ज्यूँ आसमां में लग रहा ऐसे 
लटों को खिलखिला कर इस तरह उसने घुमाया है ||

लबों पर खिलखिलाई है हंसी खिलता कमल जैसे 
निगाहों में हया की तितलियों ने घर बनाया है ||

बड़ी मासूमियत से प्यार का तोहफा दिया मुझको 
शमा को आग ने आगोश में जैसे छुपाया है ||

खता गर हो गयी कोई खुदाया माफ़ कर देना 
के अब तक आग का दरिया अकेले ही बुझाया है ||

मुझे शक है कहीं ये रात का चौथा पहर ना हो 
सुबह के ख्वाब ने मुझको कई दिन आजमाया है ||

तुम्हारे इश्क में तुमको तुम्हे क्या क्या बताऊँ मै
तुम्हे पाने की चाहत में सनम खुद को मिटाया है ||

झुकाने की हजारों बार कोशिश की जमाने ने 
कसम तेरे सिवा केवल खुदा को सर झुकाया है ||

तुम्ही हो प्रार्थना मेरी तुम्ही पूजा निरंतर हो 
मै मंदिर में रखा दीपक जिसे तुमने जलाया है ||

तमन्ना बस यही इस रात की फिर से सुबह न हो 
मुझे दिन के उजालों ने हमेशा से रुलाया है ||

हमारे चाँद ने फिर आज घूंघट को गिराया है 
अमावास रात है फिर भी जहाँ देखो उजाला है ||

मनोज नौटियाल