शनिवार, 26 जनवरी 2013

कभी नहीं बन सकता हूँ मैं


कभी नहीं बन सकता हूँ मै हरिश्चंद्र जी का अनुगामी
..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||

कितने ही शब्दों को मैंने सच्चाई  से डरते देखा
अपने ही भावों को अक्सर अंतर्मन में मरते देखा
दुःख की सर्द सुबह और रातें पीड़ा की गर्मी भरते हैं
आहों की स्वरलहरी दबकर आत्मपीड मंथन करते हैं

कल्पित दुनिया नहीं मिटा सकती है सच की सूनामी
..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||

नहीं मिला है मुझे अभी तक दर्पण जैसा परम हितैषी
खोजे केवल मुझको मुझमे स्वार्थ रहित हो छाया जैसी
..ठगा हुआ व्यापारी हूँ मै मोल भाव की बाजारी का
 भटका हुआ पुजारी हूँ मै प्रेम द्वार से गिरधारी का ||

रीत रिवाजों की दुनिया में कौन लिखेगा नयी कहानी
..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||

माया के अंतर्द्वंदों से आन्दोलन जब भी करता हूँ
मार्ग भरा है कंटक वन से चलने से अब भी डरता हूँ
भक्ति भाव की सीमाओं पर दुनिया की लाचारी देखूं
पार करूँ भी तो कैसे मै अपनों की जब क्यारी देखूं

मानवता के अवशेषों से नहीं बदल सकती बदनामी
..कभी नहीं कर सकता हूँ मै प्रेम कृष्ण जैसा आयामी ||.............मनोज






रविवार, 20 जनवरी 2013

दुश्मनों के शहर में

मौत के आगोश में भी गुनगुनाकर देखिये 


दुश्मनों के शहर में भी घर बनाकर देखिये ।।




कोशिशों ने साथ छोड़ा हो कभी तेरा अगर 


हौसले को फिर जरा सा आजमाकर देखिये ।।



देश चाहे सो रहा हो सांसदों की लोरियों से

क्रांति का उदघोष उनको फिर सुनाकर देखिये ।।



रात की खामोशियों में खो गयी इंसानियत भी

अब घर जलाना छोड़ दो दीपक जलाकर देखिये ।।



कौन से मजहब धरम में मौत की आयत लिखी हैं

.....उन किताबों को कभी गंगा बहाकर देखिये ।।........मनोज

रविवार, 13 जनवरी 2013

सत्य लिखूं तो


सत्य लिखूं तो संविधान की लोग दुहाई देते मुझको
आम आदमी हूँ चुप हो जा शब्द सुनाई देते मुझको
ऐसे जीने से बेहतर है कलम छोड़ हतियार उठायें
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।

अपने भाषण में शोषण का सतरंगी श्रृंगार सजाकर
वोट बनाये हैं दुष्टों ने आरक्षण के उदगार सुनाकर
मजहब का सरहद पर देखो कैसा नंगा नाच नचायें
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।

दिल्ली में बिल्ली पिंजरे में यो यो हन्नी सिंह अलापे
बस के अन्दर दुष्ट दुशाशन निर्भय अपनीहवश बुझाये
न्याय मांगती जनता पर ये महगाई का लेप लगाएं
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।,,,,,,,,,,मनोज