शनिवार, 27 जनवरी 2024

तुम बिन ध्यान, ध्यान से अपनाबिल्कुल रखना भूल गया हूँ

2024 की पहली रचना..... सभी मित्रों के अवलोकनार्थ 😍

तुम बिन ध्यान, ध्यान से अपना
बिल्कुल रखना भूल गया हूँ
तेरी यादों के लश्कर से
रोज गुजरना भूल गया हूँ।।

तुमसे मिलवाना भी मेरी किस्मत का इक धोखा था
हम दोनों ने खुद को आगे बढ़ने से भी रोका था
काश समझ जाते हम दोनों, अपनी अपनी सच्चाई को 
काश देख पाते पीछे हम, झूठे सच की परछाई को ।।

सुबह शाम दिन रात हमारी
बातें ख़तम नहीं होती थी 
अब बस अपने मे गुमसुम हूँ
बातें करना भूल गया हूँ।।

टूटे दिल में बची हुई हैँ अब भी कुछ झूठी आशाएं
अब भी लगता है शायद फिर लौट पुराने दिन आ जाएँ।।
काश लिपट जाओ आकर तुम भर लो फिर मुझको बाहों में 
सिर्फ तुम्हारी हूँ ये सुनते ही मेरी आँखें भर आएं।।

 मेरी कलम तुम्हे लिखने को
पूरा दिन व्याकुल रहती है
लेकिन तुम बिन गीत गजल सब
पढ़ना लिखना भूल गया हूँ।।

तुम बिन कुछ भी ठीक नहीं है लेकिन रहना   है मजबूरी 
अपनों की खुशियों की खातिर दुख सहना है आज जरूरी
मेरे मन की दुल्हन हो तुम, तन का क्या है रहे कहीं भी
यही तपस्या अब जीवन भर दोनों को करनी है पूरी।।

मैंने ईश्वर से भी ऊपर
रक्खा है तुमको जीवन में
पूजा पाठ साधनायें सब
मन्त्र प्रार्थना भूल गया हूँ।।

मनोज नौटियाल 17-01-24
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

जूनून -ए-इश्क में आबाद ना बर्बाद हो पाए मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना आज़ाद हो पाए

















जूनून -ए-इश्क में आबाद ना बर्बाद हो पाए 
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना आज़ाद हो पाए ||

कहानी तो हमारी भी बहुत मशहूर थी लेकिन
जुदा होकर न तुम शीरी न हम फरहाद हो पाए ||

न कुछ तुमने छुपाया था न कुछ हमने छुपाया था
न तुम हमदर्द बन पाए ना हम हमराज हो पाए ||

जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||

ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ बेवजह थी लेकिन
न तुम आये मनाने को न हम नाराज हो पाए ||

गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे गुरूर-ए-इश्क में हम थे
न हम नाचीज कह पाए न तुम नायाब हो पाए ||


अभी भी याद आती है नजर की वो खता पहली
न तुम नजरे झुका पाए न हम आदाब कह पाए ||

जूनून -ए-इश्क में आबाद ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना आज़ाद हो पाए ||................ manoj